छठ पुजा (Chat Puja Vrat 2024)
छठ पुजा जो हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक छठ पूजा मनाई जाती है, इस पर्व को स्त्री अपने घर की सुख ओर शांति के लिए तथा अपनी इछाआऊँ की पूर्ति के लिए यह वर्त मानती है, स्त्री और पुरुष दोनों इस वर्त को रखते है, धार्मिक मान्यता के अनुसार इस वर्त को पूरा करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन खुशहाल होता है। और जीवन खुशहाल होता है, इस वर्त की शुरुवात रामायण काल से होती है, जिसे श्री राम और सीता जी दोनों ने इस वर्त को मनाया था, जब से इस वर्त को मनाया जाता है।
कब है छठ पुजा (Chat Puja Vrat 2024)
इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर 2024 से हो रही है, इस साल छठ पुजा पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से इस पर्व की शुरुवात होती है, यह बिहार का महापर्व है, जिसे बिहार में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। इस वर्त की शुरुवात रामायण काल से होती है, जिसे श्री राम और सीता जी दोनों ने इस वर्त को मनाया था, जब से इस वर्त को मनाया जाता है। छठ पूजा पर भगवान सूर्य व छठी माता की पूजा की जाती हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सूर्य देव की कृपा मिलती है, और साथ ही संतान से जुड़ी सारी समस्याएं का निवारण हो जाता हैं,
Chat Puja Full Information
छत पुजा के पहले दिन नहाये खाय (Nahay Khay Chhath Puja 2024) नहाये खाय के दिन बिलकुल घर को साफ करके सात्विक भोजन बनाया जाता है, और भगवान को चढ़ा कर प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है, पूजा का दूसरा दिन खरना (Kharna Chhath Puja 2024) नहा दो कर पूजा की जकती है। इस दिन महिलाएं नए मिट्टी के चूल्हे पर या घर के चुले को पूरी तरह से साफ करके खीर बनाती हैं। खीर बनाने के बाद उसे भोग के रूप में छठी मैया को अर्पित किया जाता है, और अर्पित करने के बाद प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है। फिर पुजा के बाद व्रत की शुरुआत होती है। खरना पूजा का समय 06 नवंबर का है।
इसके अगले दिन यानि 07 नवम्बर को निर्जला वर्त रखा जाता है, और शाम को डूबते सूर्य को को अर्घ्य (जल चढ़ाया जाता है) दिया जाता है। उसके बाद अगले दिन उगते सुर्ये को को अर्घ्य (जल चढ़ाया जाता है) दिया जाता है, फिर पूरे विधि विधान के साथ वर्त का पारण किया जाता है।